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सेल डीड (विक्रय विलेख ) और सेल एग्रीमेंट क्या होता है।

सेल डीड (Sale Deed)

सेल डीड एक क़ानूनी दस्तावेज़ है जिसके द्वारा कोई भी प्रॉपर्टी विक्रय की जाती है। इस से किसी भी प्रॉपर्टी की मलकियत हस्तांतरित की जाती है। सेल डीड तभी वैध है यदि इसको पंजीकृत किया गया हो। भारतीय रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के अनुसार किसी भी सेल डीड का रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक है। यह मलकियत हस्तांतरण का सबूत होती है। एक सेल डीड में विक्रेता का नाम, खरीददार का नाम, विक्रय की शर्तें जिनके द्वारा प्रॉपर्टी हस्तांतरित की जा रही है आदि होना आवश्यक है। यह विक्रेता और क्रेता के द्वारा एक्सेक्यूट की जाती है।


सेल डीड में निम्न आवश्यक बातों का ध्यान रखना चाहिए।


  • दोनों पक्षों को शामिल करें :- यह सुनिश्चित करें की सेल डीड में दोनों पक्षों सही नाम व पता लिखा हो।

  • प्रॉपर्टी का विवरण :- सेल डीड में प्रॉपर्टी का स्पष्ट एवं पूर्ण विवरण हो। प्रॉपर्टी का नक्शा, एरिया का माप, व बाहरी सीमायें स्पष्ट हों ।

  • बिक्री कीमत :- जिस मूल्य पर प्रॉपर्टी को विक्रय किया जा रहा है वह स्पष्ट रूप से दर्शायी हुई हों तथा पेमेंट मोड भी स्पष्ट दर्शाया हुआ हो।

  • बकाया :- डीड में यह स्पष्ट होना चाहिए की कोई क़ानूनी बकाया या लोन इत्यादि बकाया तो नहीं है ।

  • पंजीकृत :- सेल डीड तभी वैध है यदि इसको पंजीकृत किया गया हो। भारतीय रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के अनुसार किसी भी सेल डीड का रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक है।


    इस प्रकार सेल डीड एक क़ानूनी दस्तावेज है जो मलकियत का सबूत है तथा यह एक पब्लिक डॉक्यूमेंट है। यह आपको किसी भी क़ानूनी फ्रॉड से बचाता है


सेल एग्रीमेंट (Sale Agreement)


प्रॉपर्टी क्रय-विक्रय की प्रिक्रिया के दौरान आपको सेल एग्रीमेंट की आवश्यकता हुई होगी। सेल एग्रीमेंट एक कानूनी रूप से बाध्यकारी अनुबंध होता है जिसमे सेल से सम्बंधित, भविष्य में विक्रय की तिथि, राशि व अन्य शर्ते लिखी होती है। यह एक प्रारंभिक डॉक्यूमेंट होता है। प्रॉपर्टी विक्रय / क्रय से पहले सेल एग्रीमेंट लिखा जाना चाहिए। इस एग्रीमेंट में सेल से सम्बंधित सभी शर्तों का विवरण होता है। तथा यह क्रेता और विक्रेता के मध्य एक्सेक्यूट किया जाता है। इसी के आधार पर सेल डीड लिखी जाती है। प्रॉपर्टी क्रय-विक्रय के दौरान एग्रीमेंट में लिखी शर्तों का पालन दोनों पक्षों के द्वारा किया जाना चाहिए।


एक सेल एग्रीमेंट में निम्न मुख्य बिंदु का ध्यान रखना चाहिए।


  1. सेल अग्रीमेंट सदैव दो दो या अधिक पक्षों के मध्य किया जाता है दोनों पक्ष व्यक्ति या संस्था हो सकते है यह भविष्य में प्रॉपर्टी को विक्रय या क्रय करने के लिए किया जाता है।

  2. सेल एग्रीमेंट में प्रॉपर्टी की लोकेशन सीमाएं स्पष्ट रूप से वर्णित होनी चाहिएँ।

  3. सेल एग्रीमेंट में प्रॉपर्टी का मूल्य, अदायगी की तिथि, व राशि तथा किस रूप में अदायगी की जाएगी स्पष्ट रूप से वर्णित होनी चाहिएँ।

  4. सेल एग्रीमेंट यह सुनिश्चित करता है की प्रॉपर्टी की मालिकाना हक़ स्पष्ट अवं सही हैं अगर किसी प्रकार की त्रुटि भविष्य में पायी जाती है तो आसानी से आपका धन वापस लिया जा सकता है तथा सेल एग्रीमेंट कानूनी अड़चन को दूर करता है।


    सेल एग्रीमेंट तथा सेल डीड में अंतर (Difference Between Sale Deed And Sale Agreement)


क्र सं

सेल डीड(Sale Deed)

सेल एग्रीमेंट(Sale Agreement)

01.

सेल डीड वास्तविक प्रॉपर्टी हस्तांतरण को रिकॉर्ड करता है ।

सेल एग्रीमेंट भविष्य में प्रॉपर्टी हस्तांतरण की शर्ते व प्रारूप बारे में होता है।

02.

सेल डीड करने के बाद क्रेता को प्रॉपर्टी का मालिकाना हक़ प्राप्त हो जाते हैं।

सेल एग्रीमेंट से क्रेता प्रॉपर्टी का मालिक नहीं बनता।

03.

सेल डीड ही प्रॉपर्टी के विक्रय / क्रय का प्रमाण है ।

सेल एग्रीमेंट में सेल के दौरान की प्रक्रिया की शर्ते होती हैं ।

04

भारतीय रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के अनुसार सेल डीड का रजिस्ट्रेशन (पंजिकृत )करवाना आवश्यक है।

सेल एग्रीमेंट रजिस्ट्रेशन (पंजीकृत करवाना) सभी राज्यों में आवश्यक नहीं है

इस प्रकार सेल डीड और सेल एग्रीमेंट दो अलग अलग दस्तावेज है जिनका अलग अलग महत्व है।


यह केवल सामान्य जानकारी के लिए है तथा किसी भी प्रकार की क़ानूनी सलाह का विकल्प नहीं है इसके लिए विशेषज्ञ से सलाह लेवें

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